कोई नहीं पराया | श्री गोपाल दास ’नीरज‘ | GOPALDAS NEERAJ
कोई नहीं पराया - श्री गोपाल दास ’नीरज‘
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।
मैं न बँधा हूँ, देश-काल की जंग लगी जंजीर में,
मैं न खड़ा हूँ जात-पाँत की ऊँची-नीची भीड़ में,
मेरा धर्म न कुछ स्याही-शब्दों का सिर्फ गुलाम है,
मैं बस कहता हूँ कि प्यार है तो घट-घट में राम है,
मुझसे तुम न कहो मंदिर-मस्जिद पर सर मैं टेक दूँ,
मेरा तो आराध्य आदमी, देवालय हर द्वार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।।
कहीं रहे कैसे भी मुझको प्यारा यह इंसान है,
मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है,
अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है मनुजत्व ही,
और छोड़कर प्यार नहीं स्वीकार, सकल अमरत्व भी,
मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियाँ,
मेरी धरती सौ-सौ स्वर्गों से ज्यादा सुकुमार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।।
मैं सिखलाता हूँ कि जिओ और जीने दो संसार को,
जितना ज्यादा बाँट सको तुम बाँटो अपने प्यार को,
हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी,
चलो इस तरह कुचल न जाए पग से कोई फूल भी,
सुख न तुम्हारा सुख, केवल जग का भी इसमें भाग है,
फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का शृंगार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।।